शहडोल, मध्य प्रदेश – मिड डे मील योजना, जो गरीब और वंचित बच्चों के पोषण के लिए शुरू की गई थी, अब सरकारी तंत्र की लापरवाही और भ्रष्टाचार की शिकार हो रही है। शहडोल जिले के बुढ़ार ब्लॉक के सेजहाई गांव के सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूल में बच्चों को दिए जाने वाले मिड डे मील में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां बच्चों को दाल के नाम पर केवल पानी परोसा जा रहा है।
परिजनों ने उठाए सवाल
स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता ने स्वयंसहायता समूह पर आरोप लगाए हैं कि वे बच्चों का भोजन गबन कर रहे हैं। इन आरोपों के बाद से मिड डे मील योजना की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। शिकायत में बताया गया कि बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन में घोर लापरवाही की जा रही है, जिसमें दाल में केवल पानी ही दिखाई देता है और पोषक तत्वों की कोई भरपाई नहीं है। यह गंभीर स्थिति तब है जब जिले के अधिकांश आदिवासी और गरीब बच्चे इस भोजन पर निर्भर रहते हैं।
जांच का आश्वासन
जनपद बुढ़ार के सीईओ, मुद्रिका सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि उन्होंने ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर (BRC) को जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मिड डे मील की निगरानी में खामी
यह पहली बार नहीं है जब मिड डे मील योजना को लेकर सवाल उठाए गए हैं। मिड डे मील की निगरानी के लिए जिला पंचायत, जनपद और BRC जैसे सरकारी निकाय होते हुए भी, इस योजना में भ्रष्टाचार और लापरवाही की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं। गरीब और वंचित बच्चों के लिए चलाई जा रही इस योजना का उद्देश्य पोषण को सुनिश्चित करना था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही ने इसे बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है।
आगे की कार्रवाई
सभी संबंधित विभागों द्वारा इस मामले की गहराई से जांच की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन मिले और कोई भी मासूम भूख का शिकार न हो।
मध्यान्ह भोजन योजना का मूल उद्देश्य बच्चों को पोषण और शिक्षा के प्रति आकर्षित करना था, लेकिन इस तरह की घटनाएं न केवल योजना की साख को नुकसान पहुंचा रही हैं बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव डाल रही हैं। अधिकारियों से यह उम्मीद की जा रही है कि वे जल्द से जल्द इस मामले में कार्रवाई करेंगे और दोषियों को सजा देंगे।
निष्कर्ष